Dec 13, 2012

यह तो चिट्ठा चर्चा हो गया!

(1) My dreams 'n' Expressions....  अनुलता जी ने अपने इस ब्लॉग पर ढलते सूरज का जो शब्द चित्र खींचा है उसकी टक्कर दे पाना अच्छे-अच्छे छायाकारों के बस का नहीं।  इस कविता को पढ़कर मुझसे न रहा गया, लिख ही आया ...

बड़ी प्यारी कविता है। कभी शाम की ऐसी तस्वीर खींच पाया तो इसे ले जाऊँग आपके ब्लॉग से और रख दूँगा तस्वीर के बगल में और यह भी लिख दूँगा.. तस्वीर अच्छी है पर जो बात इस शब्द चित्र में है वो तुझमें कहाँ!

(2) मेरे मन की  अर्चना चाव जी ने अपने इस ब्लॉग में रिश्तों की खूब पड़ताल की है। इसे पढ़कर पाठक इतने भाउक हो जा रहे थे कि कमेंट करना भी उन्हें मुश्किल लग रहा था! मैने लिखा....

यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि नई पीढ़ी रिश्ते निभाना नहीं जानती लेकिन यह तो ध्रुव सत्य है कि पुराने लोग रिश्ते निभाना जानते थे। कैसे-कैसे रिश्ते होते थे ये मीत के रिश्ते! दूध के रिश्तों से भी अधिक मान मिलता था इन्हें। आपने जिस तरह से इन रिश्तों को ढूँढा..सहेजा वह अद्भुत है। अंतिम पंक्तियों में सीख भी दे गईं कि हमारा भी यह दायित्व है कि जाने से पहले हम अपने बच्चों को भी ऐसी दुनियाँ से रूबरू कराते जांय..ऐसा न हो कि बच्चों को ये बातें झूठी और काल्पनिक लगें।

(3) फुरसतिया में अनूप शुक्ल जी का आलेख  वालमार्ट पधार रहे हैं पढ़ा तो इसी तर्ज पर (4) सत्यार्थ मित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी का करारे कटाक्ष वाला स्वागत गीत पढ़ने को मिला। गीत को पढ़कर आलेख की याद आ गई और सोच ही रहा था कि कैसे दोनों को जोड़ूँ तभी देखा दुन्नो जन पहले से ही जुड़े हुए हैं! फुरसतिया ब्लॉग में स्वागत गीत जाकर चिपक गया है मेरी पसंद बनकर!! मैने 'सिद्धार्थ मित्र' पर लिखा....

          स्वागत गीत है या घातक गीत! दुःख की बात यह है कि कोई आहत नहीं होगा। ढाई इंच की मुस्कान बिखेर कर अच्छा है..अच्छा है कहेंगे और चल देंगे। अब शालीन ढंग से कितनो करारा व्यंग्य लिखा जाय, चिकने घड़े के ऊपर से पानी की तरह फिसल जाता हैं। बाबा नागार्जुन की पालकी अब वालमार्ट के हवाले.. 

.........यह तो ब्लॉग चर्चा हो गई! इन्हें आपने न पढ़ा हो तो पढ़ लीजिए। आपको लगेगा कि मैने आपका समय बर्बाद नहीं किया। 


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11 comments:

  1. kyon sharminda kar rahe hain dada....time khoti aap kiye hamara to poora paisa oosool hai......


    pranam.

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  2. अच्‍छा होगा तो नि:संदेह सभी पढ़ेंगे। बधाई।

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  3. देवेन्द्र जी हम तो आपकी टिप्पणी पढ़ कर ही समझ गए थे कि हमारी लोटरी निकल गयी :-)
    इतनी सुन्दर टिप्पणी आपने पहले कहाँ की है कभी ?(या हो सकता है इससे पहले हमारी कोई कविता आपको रूचि ही न हो :)

    ये तो वाकई ब्लॉग चर्चा हो गयी....
    हमारा लिंक शामिल करने का शुक्रिया :-)

    अनु

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  4. बिलकुल अनु की तरह ही लगा था (सच्ची कह रही हूँ) कि ये टिप्पणी तो सहेजी ही जाएगी अब ...मन लगा कर जो की थी ...:-)शुक्रिया!-कहना होगा क्या? ...

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    1. शुक्रिया तो मुझे कहना चाहिए जो आप लोगों ने ब्लॉग अपडेट करने का मौका दिया। मेरा कमेंट देखकर ही कैसे समझ लिया! मैं पहले अच्छा कमेंट नहीं करता था?

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  5. नूतन ब्लॉग की बधाईयां...
    इस ब्लॉग के ज़रिए कुछ और ब्लॉग का भी परिचय मिल जाता है।।।
    सुंदर।।।

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  6. वाह, जारी रहे ये क्रम।

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  7. ये तो अच्छा हो गया। ऐसे ही रोज-रोज लिखते रहें। मजा आयेगा। अच्छा लगेगा।

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